आज हमारे देश की सरकार काले धन की समस्या से निपटने के लिए कई उपाय कर रही है जिसमें कैश लेस ट्रांजेक्शन भी सरकार के द्वारा आम जनता को दिया गया एक सुझाव है। कैश लेस ट्रांजेक्शन कई तरह से किये जा सकते हैं जैसे क्रेडिट या डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग या फिर चेक के माध्यम से। चेक के माध्यम से किसी भी तरह का संयव्हार किया जाना बड़ी ही आम बात है अक्सर हम व्यावसायिक या निजी संयव्हार के लिए चेक का उपयोग करते ही है। लेकिन अक्सर कई ऐसे भी संयव्हार देखने को मिल जाते है जिसमे चेक जारी करने वाले व्यक्ति द्वारा जारी किया गया चेक बाउंस हो जाता है। इस तरह से धोखा देने की नियत से किसी व्यक्ति द्वारा किया गया कोई संयव्हार और उसके परिप्रेक्ष किसी भी कारणवश चेक का बाउंस होना धारा 138 परक्राम्य लिखित अधिनयम (N.I.Act) के अंतर्गत एक दंडनीय अपराध है। किसी भी संयव्हार के अंतर्गत चेक बाउंस होने की दशा में चेक बाउंस की पावती बैंक से प्राप्त होने के दिनांक से 30 दिनों के भीतर चेक में वर्णित राशि की मांग सहित समस्त तथ्यों का उल्लेख करते हुए आरोपी को नोटिस भेजा जाना अनिर्वाय है तथा नोटिस में इस बात का उल्लेख भी किया जाना अनिर्वाय है कि नोटिस प्राप्ति दिनांक से 15 दिनों के भीतर चेक की राशि आरोपी अदा कर देवे। यदि आरोपी द्वारा चेक की राशि 15 दिनों के भीतर अदा नहीं करता है तो सम्बंधित न्यायालय में तत्काल उसके विरुद्ध परक्राम्य लिखित अधिनयम के अंतर्गत मामला प्रस्तुत किया जा सकता है। जिसमे आरोपी के लिए बचाव के बहुत सिमित अवसर ही उपलब्ध होते है।
Kavishvar kumar
Advocate
Kavishvar kumar
Advocate
very usefull thanks bro
ReplyDelete