विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम (Specific performance)

किसी निश्चित (specific) प्रकार के अनुतोष की न्यायालय से प्रार्थना करने के लिए विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार वाद (case) सक्षम क्षेत्राधिकारिता वाले न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है। उदाहरण के तौर पर विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम के अंतर्गत सामान्यतः किसी भूमि की खरीदी बिक्री तथा खरीदी बिक्री के लिए किए गए अनुबंध से उत्पन्न दायित्वों के संबंध वाद अक्सर न्यायालय में प्रस्तुत किये जाते है, इसे ठीक से समझने के लिए मान लीजिए A की कोई भूमि है जिसे वह B के पास बेचने का सौदा करता है, इस परिस्थिति में A और B दोनों ही एक अनुबंध से बंधित हो जाते है, अब यदि दोनों में से कोई भी अनुबंध का पालन ना करे तो वह व्यक्ति जिसे अनुबंध का निष्पादन कराना है (A या B कोई भी) वह सक्षम क्षेत्राधिकारिता रखने वाले न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर सकता है, वाद प्रस्तुत करने से पहले जिसके विरुद्ध वाद प्रस्तुत किया जाना है उसे अधिवक्ता के माध्यम से विधिक नोटिस दिया जाना अनिवार्य होता है जिसमे अनुबंध का पालन ना करने वाले व्यक्ति को एक निश्चित समय के भीतर अनुबंध की शर्तों का पालन करने हेतु तथा अनुबंध पत्र के निष्पादन हेतु कथन किया जाता है।
        इसे और अच्छे से समझने के लिए उदाहरण के तौर पर A की भूमि को खरीदने का पक्का सौदा B के द्वारा किया गया है परन्तु अनुबंध में निर्धारित समयावधि पर A के द्वारा अनुबंध का निष्पादन करते हुए पंजीकृत विक्रय पत्र निष्पादित ना किये जाने पर B न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर A के विरूद्ध पंजीकृत विक्रय पत्र के निष्पादन हेतु अनुतोष प्राप्त कर सकता है साथ ही यही A के द्वारा न्यायालयीन अनुज्ञप्ति की अवहेलना किये जाने पर न्यायालय स्वयं भी A के स्थान पर पंजीकृत विक्रय पत्र का निष्पादन B के पक्ष में कर सकती है।
         इसी प्रकार यदि B के द्वारा अनुबंध की शर्तों की अवहेलना करते हुए विक्रय पत्र के निष्पादन में विलंब अथवा हिल-हवाला किये जाने पर A न्यायालय में B के विरुद्ध अनुबंध को शून्य घोषित किये जाने हेतु वाद प्रस्तुत कर सकेगा। दोनों ही पक्षों द्वारा वाद प्रस्तुत किये जाने हेतु विक्रय का अनुबंध पत्र एक आवश्यक दस्तावेज है, जिसके आधार पर व्यथित पक्षकार न्यायालय की शरण ले सकता है।

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